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सिंधु घाटी सभ्यता एक 8 हजार वर्ष पुरानी सभ्यता है जो मुख्यतः पाकिस्तान और भारत में सिंधु नदी के आस-पास स्थित थी।उस समय यह यूरोप की तुलना में अधिक विकसित था।
मोहंजोदाडो
इस सभ्यता के बहुत से केंद्र हैं, लेकिन हड़प्पा और मोहंजोदाडो जैसे कुछ शहर इस सभ्यता के मुख्य केंद्र हैं।
रूपरेखा
सभ्यता मे कई बहु तल बिलडिंग मिलती है ।भवन बनाने में उपयोग की जाने वाली ईंटें सामान्य प्रकार की नहीं हैं। ईंटों में जिप्सम की एक परत है जो उन्हें जलरोधक बनाती है।
शहरों में एक अच्छी तरह से विकसित भूमिगत मलजल प्रणाली है।हर घर में शौचालय हैं जो सरल नहीं हैं ।
वे पश्चिमी शौचालय हैं जो साबित करते हैं कि शौचालयों की अवधारणाओं और मुख्य रूप से पश्चिमी शौचालय इस सभ्यता से आये हैं। सभ्यता मे एक बड़े तालाब के रूप मे तरणताल पाया गया जिसे महान स्नान कहा जाता है।
यह महान स्नान आज का सबसे पुराना ज्ञात रोमन स्नान से बहुत पुराना है।शहर एक बड़ी दीवारों से घिरे हुए थे।
भाषाओं और प्रतीक
अवशेषों में पत्थर पर लिखी गयी कई भाषाए है, पर आज तक वैज्ञानिक इनको समझे नहीं है।अगर वैज्ञानिक को भाषा के बारे में पता चलता है तो इस सभ्यता के कई रहस्य प्रकट कर सकते हैं।
धर्म अवशेष
वैज्ञानिक ने शिवलिंग की कई मूर्तियों को पाया था जो यह साबित करते हैं कि मूर्ति पूजा में वे सभी विश्वास रखते हैं।पशुपति शिव अधिवास्तुकार एक ऐसे पत्थर पर पाये जाते हैं जिसकी पूजा आज तक की जाती है, जो यह सिद्ध करती है कि हम उनके साथ जुडे हुए हैं।
खोपड़ी और हड्डियों को भी पाया जाता है जो काला जादू में विश्वास का संकेत है।गाय मोटिफ और कई जानवर पत्थर पर बने होते हैं, इसका मतलब है कि वे सभी उनकी पूजा करते हैं। अवशेषो के मुताबिक, वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इस सभ्यता मे हिंदू धर्म पालन किया जाता था , जिससे यह साबित हो जाता है कि आज तक हिंदू धर्म सबसे पुराना धर्म है।
सभ्यता का अंत
सभ्यता के अंत के पक्ष में अनेक सिद्धांत और धारणाएं हैं। पुस्तक"chariots of god" के अनुसार सभ्यता का अंत करने के लिए पारमनु बम या अन्य बम का इस्तमाल किया गया हैं, किंतु वैज्ञानिक ने 2 कंकाल प्राप्त किये हैं जो अपने हाथ को एक दूसरे से पकड़ हुए हैं।
अगर इस सभ्यता को नष्ट करने के लिए बम का उपयोग किया गया होता तो जो अवशेष वैज्ञानिको को मिले , वह संभव नहीं है।अगली बात यह है कि इस सभ्यता के अंत का एक कारण बाढ़ भी बताया गया है, लेकिन वैज्ञानिको ने कुछ अवशेष पाए है, जिसका उपयोग सीमा के रूप में बाढ़ नियंत्रक के रूप में किया जाता है, इसलिए यह सिद्धांत भी कुशलतापूर्वक काम नहीं करता।वैज्ञानिक ने पाया कि इस क्षेत्र का तापमान तापमान 120℃ से ऊपर होता है और यह सोचा गया है कि इस गर्म जलवायु के कारण सभ्यता का नाश हो गया , लेकिन सभी लोगों की मृत्यु नहीं हुई क्योंकि आज हम कुछ ऐसी बातों का अनुसरण करते हैं जो सिंधु घाटी सभ्यता अनुसरण करती थी या कहे उनके द्वारा बनाई गई थी।
समानताएँ
आज की सभ्यता और सिंधु घाटी सभ्यता में कुछ समानताएं हैं, जिसका अर्थ है कि हम उनकी परंपराओं का पालन करते हैं।
- कुए बनाने की अवधारणा सिंधु घाटी सभ्यता से ही मिली है। इस सभ्त्यता मे कई कुँए पाए गए ।
-शौचालयों और मुख्य रूप से पश्चिमी शौचालयों की अवधारणाओं को
-सीवेज सिस्टम जो इस सभ्यता में पाया गया था।
-इस सभ्यता के लोग मूर्तियों और अनेक पशुओं की मूर्तियों की पूजा करते हैं जिनकी हम आज भी पूजा करते हैं।
आनुवंशिक समानता
कंकालो से मिला DNA अलग अलग क्षेत्रो के लोगो से मिलाया गया। इस DNA की दक्षिण भारतीय जनता के डीएनए के साथ अधिकतम समानता पाई गई है । भारत के उपरी लोगों के अपने डी. एन. ए. मे ब्रिटिश काल, मुगल काल और कई अन्य सम्राट के कालो मे काफी परिवर्तन हुए हैं। भारत के दक्षिण भाग में विदेशी हमले कम हुए है।हम कह सकते हैं कि हमारे और उस सभ्यता के लोगों के बीच कुछ कड़ी है।
सूचना स्त्रोत
वेबसाईट
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इस विषय के बारे में लेख
समाचारपत्र
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सिंधु घाटी सभ्यता एक 8 हजार वर्ष पुरानी सभ्यता है जो मुख्यतः पाकिस्तान और भारत में सिंधु नदी के आस-पास स्थित थी।उस समय यह यूरोप की तुलना में अधिक विकसित था।
मोहंजोदाडो
इस सभ्यता के बहुत से केंद्र हैं, लेकिन हड़प्पा और मोहंजोदाडो जैसे कुछ शहर इस सभ्यता के मुख्य केंद्र हैं।
रूपरेखा
सभ्यता मे कई बहु तल बिलडिंग मिलती है ।भवन बनाने में उपयोग की जाने वाली ईंटें सामान्य प्रकार की नहीं हैं। ईंटों में जिप्सम की एक परत है जो उन्हें जलरोधक बनाती है।
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मलजल प्रणाली |
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शौचालय मिला |
वे पश्चिमी शौचालय हैं जो साबित करते हैं कि शौचालयों की अवधारणाओं और मुख्य रूप से पश्चिमी शौचालय इस सभ्यता से आये हैं। सभ्यता मे एक बड़े तालाब के रूप मे तरणताल पाया गया जिसे महान स्नान कहा जाता है।
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महान स्नान |
यह महान स्नान आज का सबसे पुराना ज्ञात रोमन स्नान से बहुत पुराना है।शहर एक बड़ी दीवारों से घिरे हुए थे।
भाषाओं और प्रतीक
अवशेषों में पत्थर पर लिखी गयी कई भाषाए है, पर आज तक वैज्ञानिक इनको समझे नहीं है।अगर वैज्ञानिक को भाषा के बारे में पता चलता है तो इस सभ्यता के कई रहस्य प्रकट कर सकते हैं।
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प्रतीक |
धर्म अवशेष
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पुराने बर्तन, शिवलिंग, चित्र |
वैज्ञानिक ने शिवलिंग की कई मूर्तियों को पाया था जो यह साबित करते हैं कि मूर्ति पूजा में वे सभी विश्वास रखते हैं।पशुपति शिव अधिवास्तुकार एक ऐसे पत्थर पर पाये जाते हैं जिसकी पूजा आज तक की जाती है, जो यह सिद्ध करती है कि हम उनके साथ जुडे हुए हैं।
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पशुपति शिव |
खोपड़ी और हड्डियों को भी पाया जाता है जो काला जादू में विश्वास का संकेत है।गाय मोटिफ और कई जानवर पत्थर पर बने होते हैं, इसका मतलब है कि वे सभी उनकी पूजा करते हैं। अवशेषो के मुताबिक, वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इस सभ्यता मे हिंदू धर्म पालन किया जाता था , जिससे यह साबित हो जाता है कि आज तक हिंदू धर्म सबसे पुराना धर्म है।
सभ्यता का अंत
सभ्यता के अंत के पक्ष में अनेक सिद्धांत और धारणाएं हैं। पुस्तक"chariots of god" के अनुसार सभ्यता का अंत करने के लिए पारमनु बम या अन्य बम का इस्तमाल किया गया हैं, किंतु वैज्ञानिक ने 2 कंकाल प्राप्त किये हैं जो अपने हाथ को एक दूसरे से पकड़ हुए हैं।
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कंकाल |
अगर इस सभ्यता को नष्ट करने के लिए बम का उपयोग किया गया होता तो जो अवशेष वैज्ञानिको को मिले , वह संभव नहीं है।अगली बात यह है कि इस सभ्यता के अंत का एक कारण बाढ़ भी बताया गया है, लेकिन वैज्ञानिको ने कुछ अवशेष पाए है, जिसका उपयोग सीमा के रूप में बाढ़ नियंत्रक के रूप में किया जाता है, इसलिए यह सिद्धांत भी कुशलतापूर्वक काम नहीं करता।वैज्ञानिक ने पाया कि इस क्षेत्र का तापमान तापमान 120℃ से ऊपर होता है और यह सोचा गया है कि इस गर्म जलवायु के कारण सभ्यता का नाश हो गया , लेकिन सभी लोगों की मृत्यु नहीं हुई क्योंकि आज हम कुछ ऐसी बातों का अनुसरण करते हैं जो सिंधु घाटी सभ्यता अनुसरण करती थी या कहे उनके द्वारा बनाई गई थी।
समानताएँ
आज की सभ्यता और सिंधु घाटी सभ्यता में कुछ समानताएं हैं, जिसका अर्थ है कि हम उनकी परंपराओं का पालन करते हैं।
- कुए बनाने की अवधारणा सिंधु घाटी सभ्यता से ही मिली है। इस सभ्त्यता मे कई कुँए पाए गए ।
-शौचालयों और मुख्य रूप से पश्चिमी शौचालयों की अवधारणाओं को
-सीवेज सिस्टम जो इस सभ्यता में पाया गया था।
-इस सभ्यता के लोग मूर्तियों और अनेक पशुओं की मूर्तियों की पूजा करते हैं जिनकी हम आज भी पूजा करते हैं।
आनुवंशिक समानता
कंकालो से मिला DNA अलग अलग क्षेत्रो के लोगो से मिलाया गया। इस DNA की दक्षिण भारतीय जनता के डीएनए के साथ अधिकतम समानता पाई गई है । भारत के उपरी लोगों के अपने डी. एन. ए. मे ब्रिटिश काल, मुगल काल और कई अन्य सम्राट के कालो मे काफी परिवर्तन हुए हैं। भारत के दक्षिण भाग में विदेशी हमले कम हुए है।हम कह सकते हैं कि हमारे और उस सभ्यता के लोगों के बीच कुछ कड़ी है।
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नमस्कार दोसतो , मैंने आपको वैज्ञानिकों द्वारा इस सभ्यता पर अतीत और हाल के कार्यों के अनुसार ज्ञान देने की कोशिश की।
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